क्रिकेटर बनते-बनते बन गए चेस चैंपियन, विदित ने अपनी जर्नी को लेकर खोला राज


विदित गुजराथी ने...- India TV Hindi

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विदित गुजराथी ने बताया चेस ओलंपियाड में अपनी जीत के अनुभव के बारे में।

भारतीय महिला और पुरुष चेस टीम ने हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में हुए 45वें चेस ओलंपियाड में गोल्ड मेडल जीतने के साथ नया इतिहास रचने का काम किया। भारतीय चेस इतिहास में ऐसा कारनामा पहली बार हुआ जब चेस ओलंपियाड में इस तरह की सफलता मिली। पुरुष और महिला दोनों टीमों के ऐतिहासिक प्रदर्शन के बाद उन्हें हर तरफ से जहां इस जीत को लेकर शुभकामनाएं मिली तो वहीं इस ओलंपियाड में पुरुष टीम का हिस्सा विदित गुजराथी और महिला टीम का हिस्सा दिव्या देशमुख ने इंडिया टीवी के साथ एक्सक्लूजिव बातचीत में अपने अनुभव और जर्नी के बारे में बताया है।

क्रिकेटर बनने गए विदित बन गए चेस चैंपियन

विदित गुजराथी ने इंडिया टीवी के साथ खास बातचीत में इस बात का खुलासा किया कि वह पहले क्रिकेटर बनना चाहते थे लेकिन बाद में चेस में दिलचस्पी बढ़ने पर उन्होंने इसे ही अपना करियर बना लिया। विदित ने बताया कि बचपन में वह काफी शरारती थे और इसी कारण उनके माता-पिता उन्हें किसी स्पोर्ट्स को इंगेज करना चाहते थे। इसलिए मुझे पहले क्रिकेट के लिए लेकर गए थे लेकिन उस समय मैं काफी छोटा था और उन्होंने मुझे एक और साल रुकने के लिए कहा। फिर मुझे लगा कि मैं चेस खेल लेता हूं क्योंकि मैं पापा के साथ खेलता था लेकिन हारता था, लेकिन सोच ये थी कि सीख लेता हूं और जीत जाऊंगा तो एक एक्सीडेंट था जिससे शुरू हुआ और यहां पर अभी टीम में हूं और इससे अच्छी क्या स्टोरी हो सकती है।

वहीं विदित ने चेस ओलंपियाड में मिली जीत को लेकर कहा कि हम सेकेंड सीट टीम थे इस टूर्नामेंट में 189 या उससे ज्यादा देशों के बीच जिससे लोगों की उम्मीदें भी काफी बढ़ गई थी। हमने इससे पहले गोल्ड मेडल कभी जीता भी नहीं था और इस बार की टीम काफी यंग थी और सभी का फॉर्म भी काफी शानदार था। शुरू में हमने इतना सोचा नहीं लेकिन शुरू के 4 मैच जीतने के बाद तीसरे राउंड में हमें अमेरिका जैसे पीछे होने के बाद हमने काफी अच्छी लीड ले थी और फिर वहां लगा कि हम इस बार गोल्ड मेडल जीत सकते हैं।

दिव्या ने 5 साल की उम्र में शुरू कर दिया था चेस खेलना

चेस ओलंपियाड में भारतीय महिला टीम की सदस्य 18 साल की दिव्या देशमुख ने भी इंडिया टीवी के साथ खास बातचीत में बताया कि उन्होंने 5 साल की उम्र से ही चेस खेलना शुरू कर दिया था, जिसके बाद 16 साल की उम्र में उनकी चेस ओलंपियाड की जर्नी शुरू हुई जिसमें वह इंडिया बी टीम का हिस्सा थी जहां मैंने व्यक्तिगत ब्रॉन्ज मेडल जीता था। वहीं अब सीनियर टीम के साथ डेब्यू करते ही हम गोल्ड मेडल जीतने में कामयाब रहे। ये काफी सारे सालों की मेहनत है जो हम ओलंपियाड में गोल्ड मेडल जीतने में कामयाब रहे जिसमें सभी कोच और सपोर्ट स्टाफ का सहयोग शामिल है।

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